Tuesday, February 15, 2011



मेरी बगिया की नन्ही कली




मेरी छोटी सी बगिया की नन्ही कली
जिसकी खुशबू से महकेगी हर एक गली
मेरा प्यारा सा उपवन भी खिल जाएगा
जब कली को न्या रूप मिल जाएगा
जब बिखेरेगी अपनी वो सुन्दरता
हर तरफ झलेकेगी ऐसी कोमलता
तब बहारों को मिल जाएगी रागिनी
मेरी नन्ही कली को पा अपनी संगिनी
मेरे आंगन मे खुशबू फैलाएगी वो
फूल बन के सदा महकाएगी वो
जब नन्ही कली फूल बन जाएगी
अपनी खुशबू से विश्व को भी महकाएगी
उसकी खुशबू का होगा पूरा विश्व दीवाना
सभी अपने नही कोई होगा बेगाना
उसके हँसने से ही तो हँसेंगे सभी
दर्द दिल को सताएगा न फिर कभी

Reference : http://baaludyan.hindyugm.com/2009/01/blog-post_8261.html
Posted by सीमा सचदेव

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